एक गलती की…

एक गलती की और एक गलतफहमी पाल ली हमने,
वो नजरंदाज करते रहे फिर भी मोहब्बत मान ली हमने ,
क्यों आता था इतना तरस उनको, कि बात कर लेते थे थोड़ी
नहीं होंगे अब नाराज़ भी उनकी हरकतें पहचान ली हमने
हां बहुत रोका करते हैं खुद को उनसे बात न करने को,
कैसे रहना है उनके बिना, ये बात भी जान ली हमने
क्या बताएं अब क्या चल रहा है ज़िंदगी में
बस……
एक गलती की और एक गलतफहमी पाल ली हमने ।।

Leave a comment

Design a site like this with WordPress.com
Get started