सुबह शाम बस खेलना कूदना, रात को आकर चैन से सो जाना… आज बड़ा याद आता है। छोटी छोटी बातों पर झगड़ा करके, फिर उसी जगह पर जाना. आज याद आता है। जब ख्वाहिशें पूरी करवाने के लिए सिर्फ रो देने से काम चल जाता था जब खुश होने के लिए सिर्फ हंस देना ही…
ख़ुद को आवाज़ लगाकर देखें खुद को खुद के साथ पाओगे गिर गए जो ख़ुद की नजर में, चाह कर भी कभी उठ न पाओगे लोग नही देंगे साथ तुम्हारा कब तक उनसे आस लगाओगे तुम उठो चलो, मेहनत करो, यकीनन आसमान छू जाओगे बस खुद को आवाज़ लगाकर देखो खुद को खुद के साथ…