एक गलती की और एक गलतफहमी पाल ली हमने,वो नजरंदाज करते रहे फिर भी मोहब्बत मान ली हमने ,क्यों आता था इतना तरस उनको, कि बात कर लेते थे थोड़ीनहीं होंगे अब नाराज़ भी उनकी हरकतें पहचान ली हमनेहां बहुत रोका करते हैं खुद को उनसे बात न करने को,कैसे रहना है उनके बिना, ये…
कहती नही तू कुछ हमसे, सब अकेले सह जाती हो बच्चों की फिक्र है तुम्हे, खुद तो बिन खाए रह जाती हो..आंखो में आंसुओं को लिए, ना जाने कैसे मुस्कुराती हो रो नही पाती तुम आजकल, ना जानें क्यों हिचकिचाती हो… मां तुम्हें भी हक़ है खुलकर अपना दिल हल्का करो हम हैं ना साथ…