थोड़ा वक्त लगेगा समझने में, थोड़ा वक्त लगेगा संभलने में, एक बार में नहीं बनता कुछ भी .. थोड़ा वक्त लगेगा उसे बनने में, क्यों दर दर ठोकर खाता है, क्यों खुदको तू ठुकराता है, दिन भर मेहनत कर ले तू मेहनत से क्यों घबराता है, थोड़ा थोड़ा जुड़ता है, एक पूरा किस्सा बनने में,…
आज तक वो खुद को खुद से मिला ना पाया मुस्कुरा कर भी वो मुस्कुरा न पाया आज बन्द करके बैठा है खुद को जैसे ..वो कुछ छुपा रहा हो कहानियाँ बनने से पहले, उसके खत्म होने का जैसे डर सता रहा हो टूट कर बिखर चुका है वो अब लगता है कि… खोने से…