बचपन

सुबह शाम बस खेलना कूदना, रात को आकर चैन से सो जाना… आज बड़ा याद आता है।

छोटी छोटी बातों पर झगड़ा करके,

फिर उसी जगह पर जाना. आज याद आता है।

जब ख्वाहिशें पूरी करवाने के लिए सिर्फ रो देने से काम चल जाता था

जब खुश होने के लिए सिर्फ हंस देना ही काफी था…

आज जिंदगी का वो अफसाना… बहुत याद आता है।

उस बचपन की चंद यादों को समेटकर, उस दोस्ती को तोड़कर, उन दोस्तों को छोड़कर,

मेरा यू बड़ा हो जाना आज याद आता है।

हाँ जिंदगी के हर मोड़ पर वो नादान बचपन याद आता है।

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