ज़िंदगी तूने मुझे..

ज़िंदगी तूने मुझे …
अकेला चलना तो सिखाया पर
अकेलेपन में रहते कैसे हैं? क्यों नहीं बताया ,
तूने मुझे हर बात सुनना तो सिखाया पर
अपनी बात को रखते कैसे हैं ?क्यों नहीं बताया ,
तूने मुझे लोगों को समझना तो सिखाया पर
मुझे कौन समझेगा ?ये, क्यों नहीं बताया
माना गलती मेरी ही होती है हर बार पर
इस बार क्या कसूर किया? , ये क्यों नहीं बताया।
चल आ ज़रा बैठ कुछ पल मेरे साथ
और अब मुझे ये बता ….
इस दुनियां में कोई नहीं अपना , ये पहले क्यों नहीं बताया।।

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