poetryworld

  • थोडा वक्त लगेगा

    थोड़ा वक्त लगेगा समझने में, थोड़ा वक्त लगेगा संभलने में, एक बार में नहीं बनता कुछ भी .. थोड़ा वक्त लगेगा उसे बनने में, क्यों दर दर ठोकर खाता है, क्यों खुदको तू ठुकराता है, दिन भर मेहनत कर ले तू मेहनत से क्यों घबराता है, थोड़ा थोड़ा जुड़ता है, एक पूरा किस्सा बनने में,…

  • ओ स्त्री चल उठ

    परिवार की खुशी में खुद को खो देती हो, पहला कौर गाय, दूजा ईश्वर, तीजा परिवार को देकर तुम खुद की थाली खाली रख लेती हो, बच्चों के साथ खेलने में अक्सर तुम हारने का भाव रखती हो, मगर ध्यान रखना कि… आस पास तुम्हारे सम्मान की किसी को फिक्र नहीं परम्परा की बेड़ियां बांध…

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